लद्दाख में HOPE मंगल सिमुलेशन मिशन – पूरी जानकारी और महत्व
तारीख: 13 अगस्त 2025 | लेखक: अर्जुन सिंह
भारत ने अंतरग्रहीय अन्वेषण की दिशा में एक अहम कदम उठाया है—HOPE मिशन का 10 दिन का मंगल जैसी परिस्थितियों का सिमुलेशन लद्दाख के त्सो कर घाटी में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस मिशन में दो चयनित दल के सदस्यों ने अत्यधिक अलगाव और कठिन वातावरण में रहकर जीवित रहने और तकनीकी परीक्षण का सामना किया। यह प्रयोग भविष्य के गगनयान और अन्य अंतरिक्ष मिशनों के लिए बेहद अहम डेटा प्रदान करेगा।
📸 मिशन की खास तस्वीरें
1. HOPE मिशन क्या है?
HOPE (Himalayan Outpost for Planetary Exploration) मिशन ISRO और Protoplanet द्वारा 1 अगस्त 2025 को शुरू हुआ और 10 अगस्त को समाप्त हुआ। यह मिशन लद्दाख की कठोर और मंगल जैसी सतह वाली त्सो कर घाटी में 4,530 मीटर (14,000 फीट) की ऊँचाई पर आयोजित किया गया। यह भारत का पहला फुल-स्केल हाई-एल्टीट्यूड मंगल सिमुलेशन है।
2. क्यों चुना गया लद्दाख?
- पर्यावरणीय समानता: त्सो कर घाटी का ठंडा रेगिस्तानी मौसम, कम ऑक्सीजन, उच्च UV विकिरण, और खारा पर्माफ्रॉस्ट मंगल की सतह जैसा है।
- वैज्ञानिक मान्यता: BSIP और IISc जैसे संस्थानों ने लद्दाख को चंद्रमा और मंगल जैसे शोध के लिए उपयुक्त स्थान माना है।
3. आवास और संरचना
मिशन में दो जुड़े हुए मॉड्यूल थे:
- 8 मीटर चौड़ा रहने का मॉड्यूल—हाइड्रोपोनिक्स, रसोई, स्वच्छता सुविधाएं, और सर्कैडियन लाइटिंग के साथ
- 5 मीटर यूटिलिटी यूनिट—ऑपरेशन और सपोर्ट सिस्टम के लिए
4. मिशन के उद्देश्य
- शारीरिक निगरानी: रक्त और मूत्र परीक्षण से दल के सदस्यों की कम ऑक्सीजन और अलगाव में अनुकूलन क्षमता का अध्ययन।
- मानसिक मूल्यांकन: तनाव प्रबंधन, टीम वर्क, मूड, नींद और संज्ञानात्मक प्रदर्शन।
- तकनीकी परीक्षण: जीवन-समर्थन प्रणाली, संचार, गतिशीलता, और सूक्ष्मजीव नियंत्रण का परीक्षण।
5. दल और सहयोग
135 आवेदकों में से राहुल मोगलापल्ली और यमन अकोट को शारीरिक और मानसिक क्षमता के आधार पर चुना गया। इस मिशन में ISRO, Protoplanet, AAKA Space Studio, लद्दाख विश्वविद्यालय, IIT बॉम्बे समेत कई संस्थान जुड़े थे।
6. भारत के अंतरिक्ष भविष्य में योगदान
- गगनयान और भविष्य के चंद्रमा/मंगल मिशनों के लिए प्रशिक्षण।
- भारत के भविष्य के अंतरिक्ष स्टेशन और मानवयुक्त चंद्रमा लैंडिंग की तैयारी।
निष्कर्ष
HOPE मिशन भारत के अंतरिक्ष सपनों का एक ट्रायल रन है। लद्दाख की कठिन परिस्थितियों में तकनीक और दल के सदस्यों का परीक्षण करके यह मिशन आने वाले मंगल और चंद्र अभियानों के लिए रास्ता तैयार करता है। यह न केवल विज्ञान बल्कि देश के गर्व का भी विषय है।
— आपका अपना ब्लॉगर, अर्जुन सिंह
वेबसाइट: www.arjusingh.life
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